5 ESSENTIAL ELEMENTS FOR DURGA CHALISA

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जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल। विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥

एक देश की धरती अपने सुगंध व प्यार को पक्षियों के माध्यम से दूसरे देश को भेजकर सद्भावना का संदेश भेजती है। धरती अपनी भूमि में उगने वाले फूलों की सुगंध को हवा से, पानी को बादलों के रूप में भेजती है। हवा में उड़ते हुए पक्षियों के पंखों पर प्रेम-प्यार की सुगंध तैरकर दूसरे देश तक पहुँच जाती है। इस प्रकार एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है।

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कुमति निवार सुमति के सङ्गी ॥३॥ कञ्चन बरन बिराज सुबेसा ।

मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।

अच्युतस्याष्टकम् - अच्युतं केशवं रामनारायणं



भजन: शिव शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

नाचे दुनिया सारी, आनंद रस बरसे रे

लङ्केस्वर भए सब जग जाना ॥१७॥ जुग सहस्र जोजन पर भानु ।

त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा॥

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